कोहिनूर हीरा का इतिहास | Kohinoor Diamond History in Hindi

कोहिनूर हीरा का इतिहास Kohinoor diamond history in hindi

Kohinnor Diamond History in hindi : कोहिनूर हीरा इस समय ब्रिटैन के ज्वेल हाउस में रखा हुआ हैं | कोहिनूर अंग्रेजो के शाशन के समय में भारत से ब्रिटैन पहुंच गया  था और वह फिर  महारानी के मुकुट की शान बन गया | कोहिनूर  हीरा भारत के अरुणाचल प्रदेश के कोस्टल रीजन गोलकोंडा में पाया गया था | अठारवी शताब्दी में यह एकलौता ऐसा रीजन था जहा हीरे पाए जाते थे | यह हीरा 1100 – 1300 के बीच के समय में ही पाया गया था | सबसे पहले कोहिनूर का लिखित संक्षेप बाबरनामा में पाया जाता है | कहा जाता है बाबर ने यह हीरा जीता था किसी युद्ध के दौरान | 

Kohinoor Diamond history in hindi

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Kohinoor Diamond picture via Wikipedia.

 कोहिनूर हीरा का इतिहास | Kohinoor Diamond History in Hindi

फिर साल 1628 में इस हीरे को शाह जहान ने अपने पीकॉक थ्रोन में लगवाया था जिसे बनने में ही 7  साल लग गए थे | किसी समय में दिल्ली सबसे अमीर शहरों में से एक मानी जाती थी | यह देख सं 1739 में नादिर शाह मुग़ल पर हमला कर देते है | युद्ध जीतकर वो भारत से बहुत सा धन लेकर निकल जाता है जिसमे कोहिनूर हीरा भी उस धन का ही हिस्सा होता है | असल में कोहिनूर हीरे का नाम कोहिनूर भी नादिर शाह ने ही रखा था जब उसने इसे पहली बार देखा और इसको रौशनी में अधिक प्रकाश के साथ चमकते हुए देखा तो उन्होंने इसका नाम कोहिनूर रख दिया | कोहिनूर का मतलब होता है “प्रकाश का पर्वत “| 

THE CURSE OF KOHINOOR (Kohinoor Diamond history in hindi )

कोहिनूर के साथ यह भी कहा जाता है की इस हीरे का जो मालिक बनता है वह पूरी दुनिया पर राज करता है  परन्तु साथ में यह भी कहा जाता है की सरे दुर्भाग्य भी उसी के साथ होते है जो इस हीरे का मालिक बनता है | 

पूरी तरह से दावा नहीं किया जा सकता की यह बात सत्य थी मगर जैसी घटना इस हीरे को लेने के बाद नादिर शाह के साथ घटी उसे सुनकर इस बात पर विश्वास किया जा सकता है |

कहा जाता है की साल 1747 में नादिर शाह का क़त्ल उनके ही  एक नौकर के द्वारा कर दिया जाता है और उनका शाशन बिखर जाता है | उनकी मृत्यु के बाद अहमद शाह दुर्रानी नए अफगान एम्पायर के राजा बन जाते है और साथ साथ कोहिनूर हीरे के मालिक भी बन जाते है |

कोहिनूर  के मालिक बनने के बाद दुर्रानी के साथ भी वसि ही घटना घटित होती है जैसी नादिर शाह के साथ होती है | उनका शाशन भी वैसे  ही बिखर जाता है | उनके बाद यह कोहिनूर का मालिक उनका तीसरा  रूलर SHUJA SHAH DURRANI बन जाता है | 

जब उसे भी गद्दी से हटा  दिया जाता है तो वह इस कोहिनूर हीरे को लेकर अपनी जान बचाकर वहा  से लाहौर को भाग निकलता है | 

वहा  पहुंचकर वो  मदद लेता है राजा रणजीत सिंह से जो उस समय में सिख एम्पायर के फाउंडर थे | मदद के बदले वो राजा रणजीत सिंह को कोहीनूर हीरा दे देता है | यह थी कहानी कोहिनूर  हीरे की सिख एम्पायर में पहुंचने की सं 1813 में | 

इन्हे “LION OF LAHORE “ और “Sher e punjab”  के नाम से जाना जाता था | इन्होने जो भी ज़मीन दुर्रानी ने यह से हड़प ली थी वह सब वापस जीतकर हासिल कर ली | कोहिनूर हीरे को हासिल करने के बाद राजा रणजीत सिंह कोहिनूर को अपनी बाजू पर बांधकर घूमते थे | 

कुछ समय बाद जब East India Company जब भारत पर शाशन करने को आती है टॉप सं 1839 में राजा की मृत्यु के बाद उनकी नजर कोहिनूर हीरे पर होती है | 

ब्रिटिशर्स के कहने पर ईस्ट इंडिया कंपनी एक दशक तक इस हीरे पर नजर रखती है और सं 1839 में राजा की मृत्यु होते ही अपनी पकड़ कोहिनूर पर बनाने के प्रयाश में लग जाती है | 

सं 1849 में इसके मालिक थय राजा दलीप सिंह जो मकतर 10 वर्ष के थे |  East India Company उनसे एक ट्रीटी सिग्न करवा लेती है और उस हीरे को उन्हें सौंपने की मांग करती है एवं उनकी माँ को जेल में बंद कर देती है | 

जिसके चलते कोहिनूर हीरा लंदन पहुँच जाता है और राजा दलीप सिंह भी | 

राजा दलीप सिंह मात्र 15 वर्ष की आयु के थय तब उन्हें लंदन भेज दिया गया था और उन्हें सिख से ईसाई बना दिया गया था | 

कहा जाता है की अपने आखिरी कुछ सालो में दलीप सिंह इंग्लैंड के खिलाफ जंग करके वापस अपने देश भारत लौटना चाहते थे  मगर ब्रिटिश ऐसा होने नहीं देते है | 

कहा जाता है की 55 वर्ष की आयु में उनका पेरिस में बहुत ही निराशाजनक तरह से देहांत हो जाता है | 

जिस कहावत के अनुसार कहा जाता था की कोहिनूर का जो मालिक बनता है वह पूरी दुनिया पर हुकूमत करता है परन्तु इसके साथ ही उसके साथ दुर्भाग्य भी जुड़ जाता है | साथ ही उसमे यह भी बताया गया है की अगर इसकी मालकिन कोई महिला बनती है तो उसके ऊपर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होगा | 

इसके बाद साल 1851 में इसे लंदन के “HYDE PARK “ में आम जनता के देखने के लिए रखा जाता है मगर आश्चर्य की बात यह की कोहिनूर को देखकर लोग बहुत ही सामान्य सा ही बर्ताव करते नजर आती है कोई भी उसे उसकी महत्वता जितना दर्जा ही नहीं देता है और उसे एक सामान्य पत्थर व् कांच का टुकड़ा बता दिया जाता है  | 

यह देखकर QUEEN VICTORIA के पति PRINCE ALBERT को बहुत निराशा होती है और फिर  सं 1852 में कोहिनूर की फिरसे घिसाई और कटाई करवाई जाती है ताकि कोहिनूर की चमक पहले से भी ज्यादा बढ़ जाए  और लोग उसे देखकर आकर्षित हो जाये | 

इसके बाद कोहिनूर का वजन पहले से घट  जाता है और पहले 186 करेट्स से 105.6 करेट्स हों जाता है |

कोहिनूर को हासिल करने के साथ साथ उन्हें भी “THE CURSE OF KOHINOOR” के बारे में पता चलता है | इसीलिए वे कोहिनूर का मालिक राजा की पत्नी जो उस समय की रानी बनती है उसको बनाते है ताकि उन्हें इसका दुष्प्रभाव का सामना न करना पड़े | 

साल 2002 में महारानी के दाहसंस्कार के दौरान आम जनता के द्वारा इस हीरे को देखा गया था
| आअज के समय में यह हीरा “TOWER OF LONDON” के   “JEWELS HOUSE” में रखा गया है | 

कोहिनूर हीरे की कीमत- 

जैसा की बाबर ने अपने बाबरनामे में भी बताया है की कोहिनूर हीरे की कीमत पूरी दुनिया के एक दिन की आय की आधी कीमत के बराबर है | 

हमे उम्मीद है की आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी | आगे और भी ऐसी जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग gyaansagar पर आये |

धन्यवाद्

4 thoughts on “ कोहिनूर हीरा का इतिहास | Kohinoor Diamond History in Hindi”

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