क्या है नर्मदेश्वर शिवलिंग (Narmadeshwar shivling) का महत्व और जानिए पूजा विधि

नर्मदा नदी से निर्मित हुए शिवलिंग को ही नर्मदेश्वर शिवलिंग Narmadeshwar shivling कहा जाता है | इस नदी के कण – कण में शिव है |

Narmadeshwar shivling

Narmadeshwar shivling

What is Narmadeshwar shivling?

हिन्दू धर्म में शिवलिंग को शिव भगवान का ही प्रतीक माना जाता है एवं शिवलिंग की पूजा का भी बहुत महत्व बताया गया है | साथ ही शिवलिंग पूजा में Narmadeshwar shivling की पूजा करने का बहुत ही बड़ा महत्व बताया गया है | नर्मदा नदी से निर्मित इस शिवलिंग को Narmadeshwar shivling कहा जाता है |

नर्मदा पुराण के मुताबिक नर्मदा को शिव भगवन की पुत्री बताया गया है जिन्हे भगवन शिव का वरदान प्राप्त है |

मन जाता है की नर्मदा नदी में स्नान करना उतना ही शुभ मन जाता है जितना गंगा नदी में स्नान करना | इस नदी से निकले हर छोटे से बड़े पत्थर पर भगवन शिव की कृपा है एवं उन् सब में से नर्मदेश्वर शिवलिंग सबसे खास मन जाता है |

Narmadeshwar shivling Benefits (नर्मदेश्वर शिवलिंग की विशेषताएं )

नर्मदेश्वर शिवलिंग को बाणलिंग भी कहा जाता है | आइये इनकी कुछ विशेषताओं के बारे में बात करते है |

  • नर्मदेश्वर शिवलिंग लाने से घर में सकारात्मक उर्जाओ का आगमन होता है एवं आपका मन भी शांत रहता है |
  • नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है |
  • नर्मदेश्वर शिवलिंग आपके घर के सभी वास्तु दोषो को समाप्त करने का काम भी करता है |
  • नर्मदेश्वर शिवलिंग मनुष्य की जितनी भी गलत आदते है उनसे छुटकारा पाने में मदददगार साबित होता है |

How to worship Narmadeshwar shivling (नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा विधि)

प्रातः काल उठकर नर्मदेश्वर शिवलिंग को एक थाल में शिवजी की प्रतिमा के सामने रखे |

इसके बाद शिवलिंग के ऊपर बेलपत्र चढ़ाये | 

इसके बाद शिवलिंग के ऊपर जल अर्पित करे | 

शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद ॐ नमः शिवाय का जाप करे | 

साथ ही लिंगाष्टक स्त्रोतम का पाठ भी करे | 

इसके बाद इस जल को किसी पेड़ पौधे में डाल दे |

Narmadeshwar shivling की स्थापना के नियम 

Narmadeshwar shivling

Narmadeshwar shivling

शिवलिंग को घर और मंदिर दोनों जगह स्थापित करने के अलग – अलग नियम होते है | 

घर  में स्थापित किया जाने वाला शिवलिंग 6 इंच से बड़ा नहीं होना चाहिए | 

शिवलिंग को घर में स्थापित करते समय आपको ध्यान रखना चाहिए की उसकी वेदी का मुख उत्तर  दिशा की ओर होना चाहिए | 

नर्मदेश्वर शिवलिंग को ध्यान रहे सोने – चांदी, पत्थर या ताम्बे के बने वेदी पर ही स्थापित करना चाहिए | 

शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग के आकर के अनुसार दोगुनी जलधारी होनी चाहिए यदि शिवलिंग 2 इंच का है तो जलधारी 4  इंच का होना चाहिए | 

शिवलिंग की पूजा क्यों की जाती है 

हमारे हिन्दू धर्म में एकमात्र शिवजी ही ऐसे भगवन है जिनकी पूजा दोनों रूपों में की जाती है | इनके दोनों रूप यानि निराकार और साकार दोनों रूपों में ही पूजा जाता है| 

शिवजी साकार रूप में एक हाथ में डमरू लिए एवं दूसरे हाथ में त्रिशूल लिए दिखाई देते है एवं निराकार रूप में शिवलिंग के रूप में पूजे जाते है | शिवजी का निराकार रूप पुरे संसार के लिए आदि अनंत का प्रतीक है | 

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