कालसर्प दोष क्या होता है | What is Kaal sarp dosh ?

ज्योतिष शास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जो हमे भविष्य में होने वाली घटनाओ के बारे में जानकारी प्रदान करता है | ज्योतिष शास्त्र हमारी कुंडली में पाए जाने दोष के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है | इनमे से एक सबसे महत्वपूर्ण दोष है जिसे हम काल सर्प दोष के नाम से जानते है | ज्योतिष शास्त्र में काल सर्प दोष को बहुत ही अशुभ माना जाता है | मन जाता है की जिस व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष होता है उसे जीवनकाल में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | 

कालसर्प दोष जिस व्यक्ति की कुंडली में होता है उसे अपने जीवनकाल में शारीरिक एवं मानसिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | आइये जानते है की आखिर ये कालसर्प दोष होता क्या है, कितने प्रकार के होते है और इस दोष को कम करने के क्या क्या उपाय  है | 

What is Kaal sarp dosh

Kaal Sarp Dosh Kya hota hai

कालसर्प दोष क्या होता है ?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब व्यक्ति की लग्न कुंडली में राहु और केतु की स्थिति आमने – सामने की होती है | इसके साथ ही जब बाकि सात गृह राहु – केतु के एक तरफ हो जाये और दूसरी तरफ कोई गृह न रहे तब ऐसी स्तिथि में कालसर्प दोष बनता है | कुंडली में काल सर्प दोष होने से व्यक्ति को अपने जीवनकाल में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | 

हमारी कुंडली में कुल 9 गृह होते है जिनमे से दो है राहु – केतु जिन्हे छाया गृह भी कहा जाता है  और बाकि 7 मुख्य गृह होते है | 

अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष पाया जाता है तो वह उसके जीवनकाल में कठिनाइया लेकर आता है | 

आइये जानते है आखिर कालसर्प दोष कितने प्रकार के होते है | 

कालसर्प दोष कितने प्रकार के होते है ? | Types of Kaal Sarp Dosh

Types of Kaal Sarp Dosh

अनंत कालसर्प दोष

ज्योतिष क्षेत्र के अनुसार व्यक्ति की लग्न कुंडली में अनंत कालसर्प दोष तब बनता है जब लग्न कुंडली में  राहु की स्तिथि पहले घर में हो और केतु की स्तिथि सातवे घर में | ऐसी स्तिथि में बाकि 7 गृह दोनों छाया गृह के बीच में आ जाते है | जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष पाया जाता है उसे अपने जीवनकाल में सफलता हासिल करने के लिए बेहद मेहनत करनी पड़ती है  और साथ ही उस मेहनत का फल भी ऐसे व्यक्ति को बहुत ही देरी से हासिल होता है | अनंत कालसर्प दोष जिस व्यक्ति की कुंडली में होता है वह उसके सब्र का इम्तेहान जरूर लेता है और साथ ही साथ हर काम में बाधा भी उत्पन्न करता है | 

2. कुलिक कालसर्प दोष

ज्योतिष क्षेत्र के अनुसार व्यक्ति की लग्न कुंडली में कुलिक  कालसर्प दोष तब बनता है जब लग्न कुंडली में  राहु की स्तिथि दूसरे घर में हो और केतु की स्तिथि आठवे घर में पायी जाती है | जिस व्यक्ति की कुंडली में कुलिक कालसर्प दोष पाया जाता है उसे अपने जीवनकाल में संपत्ति का नुकसान, आमदनी घटना , बेजत्ती होना , कर्जा होना कुछ इस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | इस कालसर्प दोष के चलते व्यक्ति अपने जीवनकाल में किसी रोग से भी ग्रसित हो सकता है | 

3. वासुकि कालसर्प दोष

ज्योतिष क्षेत्र के अनुसार व्यक्ति की लग्न कुंडली में वासुकि कालसर्प दोष तब बनता है जब लग्न कुंडली में  राहु की स्तिथि तीसरे घर में हो और केतु की स्तिथि नवमे घर में पायी जाती है | जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष पाया जाता है उस व्यक्ति के घर में सुख समृद्धि की कमी पायी जाती है साथ ही समय के चलते आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ सकता है | परन्तु माना  जाता है की इस दोष में यदि मनुष्य मेहनत करे तो उसकी पैसो की तंगी से वह छुटकारा भी पा सकता है |

4.  शंखपाल कालसर्प दोष –

ज्योतिष क्षेत्र के अनुसार व्यक्ति की लग्न कुंडली में शंखपाल कालसर्प दोष तब बनता है जब लग्न कुंडली में  राहु की स्तिथि चौथे घर में हो और केतु की स्तिथि दसवे घर में पायी जाती है | व्यक्ति की कुंडली में यह दोष उसके जीवनकाल में आर्थिक तंगी एवं बीमारियों की और इशारा करता है | इस दोष के चलते इस व्यक्ति को अपने जीवनकाल में कोई भी फैसला लेने में बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और वह जल्दी से सही फैसला लेने में असमर्थ पाया जाता है जिसके कारण वह अपने जीवनकाल में कई गलतिया कर बैठता है | 

5. पदम  कालसर्प दोष –

ज्योतिष क्षेत्र के अनुसार व्यक्ति की लग्न कुंडली में पदम कालसर्प दोष तब बनता है जब लग्न कुंडली में  राहु की स्तिथि पांचवे घर में हो और केतु की स्तिथि ग्यारवे घर में पायी जाती है | इस दोष वाला व्यक्ति के विद्यार्थी जीवन में उसे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जैसे पढाई में मन न लगना , आसानी से चीज़े समझ में ना आना आदि | जैसे जैसे उस विद्यार्थी की उम्र बढ़ती है इस दोष के चलते उसे अपना कैर्रिएर तय करने में बहुत मुश्किलो  का सामना करना पड़ता है | 

6. महापद्म कालसर्प दोष –

ज्योतिष क्षेत्र के अनुसार व्यक्ति की लग्न कुंडली में महापदम कालसर्प दोष तब बनता है जब लग्न कुंडली में  राहु की स्तिथि छठे घर में हो और केतु की स्तिथि बारहवे घर में पायी जाती है | जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष पाया जाता है उसके जीवनकाल में सुख समृद्धि की कमी के साथ साथ जीवन के कुछ अहम् पड़ाव पर ऐसे व्यक्ति कई बार गलत निर्णय  भी ले लेता है | 

7. तक्षक कालसर्प दोष –

ज्योतिष क्षेत्र के अनुसार व्यक्ति की लग्न कुंडली में तक्षक कालसर्प दोष तब बनता है जब लग्न कुंडली में  राहु की स्तिथि सातवे घर में हो और केतु की स्तिथि पहले घर में पायी जाती है | ऐसे व्यक्ति के जीवन में इस दोष के प्रभाव से विवाह में देरी पायी जाती है | जिसके कारन विवाह में देरी होने से ऐसे व्यक्ति के माता – पिता के लिए वह चिंता का विषय बन जाता है | ऐसे व्यक्ति के जीवनकाल में इस दोष के चलते उसके विवाह के बाद भी बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जिससे कई बार तलाक होने तक के भी योग बन जाते है | 

8. कर्कोटक कालसर्प दोष –

ज्योतिष क्षेत्र के अनुसार व्यक्ति की लग्न कुंडली में कर्कोटक कालसर्प दोष तब बनता है जब लग्न कुंडली में  राहु की स्तिथि आठवे  घर में हो और केतु की स्तिथि दूसरे घर में पायी जाती है | जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष पाया जाता है ऐसे व्यक्ति को जीवन में सफलता हासिल करने में बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | ज्यादा मेहनत करने पर कम फल मिलता है एवं कई तरह की बाधाओ का सामना भी करना पड़ता है | ऐसे व्यक्ति बेहद सच बोलने वाले पाए जाते है जिसकी वजह से वह कई बार अपने जीवन में कुछ कठिनाइयों का सामना भी करते पाए जाते है | 

9. शंखचूर कालसर्प दोष –

ज्योतिष क्षेत्र के अनुसार व्यक्ति की लग्न कुंडली में शंखचूर कालसर्प दोष तब बनता है जब लग्न कुंडली में  राहु की स्तिथि छठे  घर में हो और केतु की स्तिथि बाहरवें घर में पायी जाती है | ऐसे व्यक्ति को जीवन में सफलता हासिल करने में कठिनाइया होंगी एवं इसके चलते जीवनकाल में सुख समृद्धि की कमी भी पायी जाती है | 

10. घातक कालसर्प दोष –

ज्योतिष क्षेत्र के अनुसार व्यक्ति की लग्न कुंडली में घातक  कालसर्प दोष तब बनता है जब लग्न कुंडली में  राहु की स्तिथि दसवे  घर में हो और केतु की स्तिथि चौथे घर में पायी जाती है | जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष पाया जाता है उन्हें सलाह दी जाती है की वह अपनी माता की ज्यादा से ज्यादा सेवा करे जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त हो और जीवन में आने वाली कठिनाइया भी कम हो सके | देखा जाता है की ऐसे व्यक्ति थोड़े घमंडी हो जाते है जिसके कारन उन्हें अपनी निजी जिंदगी एवं काम काज में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है | 

11. विषधर कालसर्प दोष 

ज्योतिष क्षेत्र के अनुसार व्यक्ति की लग्न कुंडली में विषधर कालसर्प दोष तब बनता है जब लग्न कुंडली में  राहु की स्तिथि ग्यारहवे  घर में हो और केतु की स्तिथि पांचवे घर में पायी जाती है | यह दोष ऐसे लोगो के लिए हानिकारक साबित होता है जो अपने जीवन में आगे पढाई करना चाहते है यह उसमे बाधा उत्पन करने का काम करता है | इस दोष के कारन लोग डिप्रेशन का भी सामना करते है और उन्हें हमेशा कोई न कोई चिंता सताती रहती है | ऐसे लोग महंगी चीज़ो के एवं जीवन में ऐशोआराम के बेहद शौकीन होते है जिसके कारन वह कई बार गलत तरह से पैसे कमाना भी शुरू कर देते है | 

12. शेषनाग कालसर्प दोष 

ज्योतिष क्षेत्र के अनुसार व्यक्ति की लग्न कुंडली में शेषनाग कालसर्प दोष तब बनता है जब लग्न कुंडली में  राहु की स्तिथि बाहरवें घर में हो और केतु की स्तिथि छठे घर में पायी जाती है | ऐसे लोगो की पसंद हमेशा पूरी हो जाती है परन्तु कुछ देरी से | ऐसे लोगो में पैसो को खर्च करने का नियंतरण थोड़ा काम पाया जाता है जिसके चलते वह कई बार खुद को कर्जे में पाते है | 

कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए उपाय | kaal sarp dosh remedies

kaal sarp dosh remedies

  1. कालसर्प दोष से बचने के लिए एक ज्ञानी पंडित से इन धार्मिक स्थानों पर पूजा करवानी चाहिए | 
  • सिद्ध्वत मंदिर उज्जैन | 
  • त्रियंबकेश्वर मंदिर नासिक | 
  • श्री कालहस्तीश्वरा मंदिर आंध्र प्रदेश | 
  1. रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करे | 
  2. रोजाना दिन में 108 बार महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करे |
  3. सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करे | 
  4. सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाये | 
  5. एक नारियल लेकर उसे घडी की उलटी दिशा में अपने सिर के ऊपर से घुमाये और बहते पानी में छोड़ दे |  

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